चीन ने बुधवार को कहा कि वह भारत के साथ सीमा पर कोई और झड़प नहीं चाहता. गौरतलब है सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात में दोनों देशों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों ने जान गंवाई है. भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख में हुए हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों
चीन ने बुधवार को कहा कि वह भारत के साथ सीमा पर कोई और झड़प नहीं चाहता. गौरतलब है सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात में दोनों देशों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों ने जान गंवाई है.
भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख में हुए हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच बरकरार तनाव के बीच चीन ने बुधवार को कहा कि वह भारत के साथ सीमा पर कोई और झड़प नहीं चाहता. गौरतलब है सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात में दोनों देशों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों ने जान गंवाई है. समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, झड़प में चीन के भी करीब 43 सैनिकों के हताहत होने की ख़बरें हैं. बुधवार को चीन की ओर से कहा गया है कि दोनों देश बातचीत के ज़रिये स्थिति को हल करने की कोशिश कर रहे हैं. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने दोहराया कि चीन को झड़प के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए और सीमा पर कुल मिलाकर स्थिति स्थिर और नियंत्रणीय है.
चीन ने बुधवार को कहा कि वह दशकों पहले हुए टकराव के बाद अब भारत के साथ और संघर्ष से चाहता. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने बुधवार को फिर से आरोप लगाया कि यह भारतीय सैनिक हैं जिन्होंने अवैध रूप से सीमा पार की और चीनी सैनिकों पर हमला किया. उन्होंने नियमित ब्रीफिंग मेंचीन की ओर से घटना में मारे गए सैनिकों की जानकारी दिए बिना कहा, इसके कारण “दोनों पक्षों के बीच एक गंभीर शारीरिक टकराव हुआ, जो सैनिकों की मौत और चोटों का कारण बना.” हालांकि झाओ ने कहा कि दोनों पक्ष “बातचीत और आपसी सहमति के माध्यम से इस मुद्दे को हल करना जारी रखेंगे.”
लद्दाख में यह हिंसक झड़प उस समय शुरू हुइ जब भारतीय सैनिक सीमा के भारत की तरफ चीनी सैनिकों द्वारा लगाए गए टेंट को हटाने गए थे. चीन ने 6 जून को दोनों पक्षों के लेफ्टिनेंट जनरल-रैंक के अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद इस टेंट को हटाने पर सहमति जताई थी. सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय कर्नल बीएल संतोष बाबू को निशाना बनाने के बाद एक शारीरिक संघर्ष छिड़ गया और दोनों पक्षों के बीच डंडों, पत्थरों और रॉड का जमकर इस्तेमाल हुआ था.
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